Nid khoti nhi thi, kabhi kabhi mai khota tha |
"ये चीजें वहां तो नहीं होती थी
हा कभी कभी मै खोता था,
निद खोती थी
पर चैन तो नहीं खोती थी।
फिकर वहां भी होती थी
पर कोई दिन यूहीं निष्काम नहीं होती थी
क्यों नकारा हो जाता हू
जब तेरे साथ होता हूं
पहले भी दिन ऐसा हुआ करता था
पर राते इतनी मनहूस नहीं हुआ करती थी
पहले भी दुनिया बुरी थी
खोज लेता था कहीं मासूमियत
पर दुनिया के बुरी होने से मेरी
मेरी दुनिया बुरी नहीं होती थी।।
अफसोस हुआ होगा ना बहुत
सब ख़ामोश होने के बाद
पहले भी खामोशी होती थी
पर खुशियां ख़ामोश नहीं होती थी"
No comments:
Post a Comment
please don't enter any spam link in the comment box....!