"सीख के लोगो से खेलना अब
वो खुद से खेलना सीखा रहे
गिर चुके है खुद ही अपने नजरो मे
हाथ पकड़ अब मुझे भी गिरा रहे||
एक छोटी सी कमी मुक्कमल ना हुआ
अब तो कमियों में भी वो मुस्कुरा रहें
जिल्लत भारी सासे है उनकी
कितनी खुशनुमा है महफ़िल उनकी
ऐसा मुझे बता रहे ||
वो खुद से खेलना सीखा रहे
गिर चुके है खुद ही अपने नजरो मे
हाथ पकड़ अब मुझे भी गिरा रहे||
एक छोटी सी कमी मुक्कमल ना हुआ
अब तो कमियों में भी वो मुस्कुरा रहें
जिल्लत भारी सासे है उनकी
कितनी खुशनुमा है महफ़िल उनकी
ऐसा मुझे बता रहे ||
बेघर बना के मुझे
उस घर को आसुओं और मायूसी से सजा रहे
आज बड़ा खुश देख मै उन्हें
भरी हुई आंखें मायूस लफ्जो के साथ
अब ऐसे ही खुश रहना मुझे वो सीखा रहे||
क्या सीख लिए सीखते सीखते मुहाबत को
खुद से नफ़रत और तनहाई से प्यार
बेगैरत भरी जिंदगी जी रहे
अब मुझे भी यही सब वो सीखा रहे ||
भौरा भवार में है मन भी किसी जद्दोहर में है
मै चल रहा यूहीं रेत पे भूखा प्यासा
उधर मंजिल है भी या बस रेत शहर ही है||"
उस घर को आसुओं और मायूसी से सजा रहे
आज बड़ा खुश देख मै उन्हें
भरी हुई आंखें मायूस लफ्जो के साथ
अब ऐसे ही खुश रहना मुझे वो सीखा रहे||
क्या सीख लिए सीखते सीखते मुहाबत को
खुद से नफ़रत और तनहाई से प्यार
बेगैरत भरी जिंदगी जी रहे
अब मुझे भी यही सब वो सीखा रहे ||
भौरा भवार में है मन भी किसी जद्दोहर में है
मै चल रहा यूहीं रेत पे भूखा प्यासा
उधर मंजिल है भी या बस रेत शहर ही है||"
-@pjhalu
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