Monday, March 29, 2021

Dil khushnuma tha fir ye dard kha se chali|Hindi/urdu shayari, kavita,poetry|ये आंधी है दिल की, दिल से ही है चली

Hindi/urdu shayari, kavita,poetry

दिल खुशनुमा था फिर ये दर्द कहां चली
मै मस्त था अपने दुनिया में फिर क्यों मुड़ा उस गली
चल शांत करते है मन को
ये आंधी है दिल की, दिल से ही है चली ।

मै अकेला कर दिया उसे, उसने भी न जाने कितनो को
ये तो छोटा सिलसिला है दिल का
उस दर्द में ना जाने कितने दिल जले
न जाने कितने घर जली ।।।

थाम मन को ये जो आंधी है चली
रुकेगी थक के कहीं ना कहीं
तेरे गली या मेरे गली
इसका भी वही हश्र होगा जहा थी आग जली ।।।



ये आग भी क्या खूब जली
खुद जली तो क्या जली
जला दी वो शारी मासूम कली
राख भी जला फिर खाक भी जला
बची खुची खोवाईश भी जली
मै खड़ा देख रहा था उस डायरी के पन्नों को
जिस पे लिखा था मै ना थी तेरी करमजली
मै सोचा उस बचा लू लेकिन
वो पन्ना भी जला और मेरी उंगली भी जली ।।
जल भुन गया सब फिर तेज से हवा चली
उड़ गए सब राख और वो खोयाब वाली पन्ना भी
मै बैठा सोच रहा
पहले आंधी फिर आग जली फिर हवा क्यों चली ???

@pjhalu



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