Sunday, April 11, 2021

Afshos thoda hai mujhe|Hindi/urdu shayari, kavita,poetry|अफसोस थोड़ा है मुझे

Hindi/urdu shayari, kavita,poetry

अफसोस होता है कभी कभी अपने खुद के होने का
अफसोस होता है कभी कभी सब कुछ खोने का
छोड़ देता मै भी सब कुछ नसीब के भरोसे
पर कैसे कोई रोक पाए कोई खुद को
जब कोई लंगड़ा तोड़ रहा हो सपना ।।

ये चुनौती ये बदनामी
ये बेगैरत भारी जिंदगी कौन जिएगा
बस थोड़ा कायर है ना हम
pradeepkumar jhalu


अपने से तो हम लड़ लेंगे
पर ये दुनिया से कौन लड़ेगा ।।



असोस एक और भी है अफसोस के लिए
जो अंधे है पर उनका क्या जों आंखे रहते नहीं दिखता
यहां हर चीज का मोल है बस वो अपना न हो
वरना बेगैरत (बेकार) लोगो का भी है एक सपना

Friday, April 2, 2021

Mushafir the ham kisi raah ke, tabhi meri nagar un pe padi |Hindi/urdu shayari, kavita,poetry|मुसाफिर थे हम किसी राह का तभी मेरी नजर उनपे पड़ी

Hindi/urdu shayari, kavita,poetry



"मुसाफिर थे हम किसी राह का
तभी मेरी नजर उनपे पड़ी
उनकी आंखे सुरमे बक्र थी
रुक गई मेरी नजर वहीं ।।
नजरो से कुछ नजराना हुआ
दिल में एक हंगामा हुआ
ना जाने उनके जुल्फो और
आंखो से क्या बात हुई
हम तो बस यूंही खड़े थे
लेकिन आंखो का आंखो से
(वो) वाली मुलाकात हुई
लंबी गुफ्तगू चली उनमें
न जाने क्या बात हुई
मुझे तो कुछ ना हुआ|||


लग रहा आखो को इश्क हुआ
उस रात बस इतना ही हुआ
लेकिन खुली आंखो से
सुबह मेरी मुलाकात हुई
मै निर्दोष था लेकिन
दोषी तो आंखे हुई ।।
उधर भी कुछ ऐसा ही था
क्योंकि बस चंद दिन बाद
मेरी भी उनसे मुलाकात हुई ।।।
ना जाने उस दिन क्या
नैनो का नैनो से बात हुई।।


एक बस्ती थी मेरी, उनके आंखो में
उस बस्ती में, छोटा सा घर था अपना
उस छोटे से घर का मालिक थे, हम दोनों
किसी ने उनको थोड़ा सा, खुशी क्या दी
भर आई आंखे उनकी
और बह गया आशिया अपना ।।।"
pradeepkumar jhalu