Saturday, March 27, 2021

Jakhm deke yuhi kyo bar bar kuredati ho|Hindi/urdu shayari, kavita,poetry|ज़ख्म देके कुरेदती हो यूहीं क्यों बार बार मैसेज भेजती हो

Hindi/urdu shayari, kavita,poetry


"ज़ख्म देके कुरेदती हो यूहीं क्यों बार बार मैसेज भेजती हो
भेजना है तो भेज दो बेगुनाही का सबूत अपना


यूहीं अँधेरे में क्या मुझमें बार बार खोजती हो

हक था बेशक तुम्हे मेरे साथ खेलने का
और खेले भी पूरा एक दशक
लेकिन अब तो गैरो के साथ हम बिस्तर हो के खेलती हो
क्यों जख्म देके बार बार कुरेदती हो
दे दो बेगुनाही का सबूत अपना
यूहीं अँधेरे में क्या मुझमें बार बार खोजती हो"
                           @pjhalu






No comments:

Post a Comment

please don't enter any spam link in the comment box....!