Thursday, August 31, 2017

तू पतझड़ है नई पत्तो की तरह

तू पतझड़ है नई पत्तो की तरह बिखर जाती क्यों
तू  हमारी याद की तरह आती जाती है क्यों
तू रुकती क्यों नही तुमसे कुछ बाते है
भूल जाती तो फिर याद क्यों नही
तू चाहत है मेरी इसलिए फिकर है
तू अपने को ये समझती क्यों नही
तू याद है मेरी याद में ही रह तू सपनो की तरह आती जाती क्यों
तुम्हे देख के सब कुछ भुलनजाने को ये दिल मुझे
समझती क्यों ।।
तू याद है मेरी याद में ही रह तू सपनो की तरह आती जाती क्यों
सोचता हूं भुला दू तुझे फिर अपने को मैं भुलाऊँ क्यों
तू सिर्फ याद मेरी यादो में ये मैं अपने को समझाऊ क्यों
ये तो मैं अब समझ गया अपने दिल को मैं अब समझाऊ क्यों
तू याद है मेरी याद में ही रह तू सपनो की तरह आती जाती क्यों


तू अपना है कि सपना है अब मैं अपने को बताऊ क्यों
तुझे याद में रख अपने याद को ही न अब मैं समझाऊ क्यों
तू याद है मेरी याद की तरह दिल दिमाग में आती जाती क्यों
तू सपना है मेरी फिर सपनो की तरह ही मुझे मिलवाती क्यों है नई पत्तो की तरह बिखर जाती क्यों ।
तू  हमारी याद की तरह आती जाती है क्यों।।
तू रुकती क्यों नही तुमसे कुछ बाते है।
भूल जाती तो फिर याद क्यों नही ।
तू चाहत है मेरी इसलिए फिकर है ।।
तू अपने को ये समझती क्यों नही।
तू याद है मेरी याद में ही रह तू सपनो की तरह आती जाती क्यों ।।
तुम्हे देख के सब कुछ भुलनजाने को ये दिल मुझे
समझती क्यों ।।
तू याद है मेरी याद में ही रह तू सपनो की तरह आती जाती क्यों ।
सोचता हूं भुला दू तुझे फिर अपने को मैं भुलाऊँ क्यों ।।
तू सिर्फ याद मेरी यादो में ये मैं अपने को समझाऊ क्यों ।
ये तो मैं अब समझ गया अपने दिल को मैं अब समझाऊ क्यों ।
तू याद है मेरी याद में ही रह तू सपनो की तरह आती जाती क्यों ।।


तू अपना है कि सपना है अब मैं अपने को बताऊ क्यों ।
तुझे याद में रख अपने याद को ही न अब मैं समझाऊ क्यों ।।
तू याद है मेरी याद की तरह दिल दिमाग में आती जाती क्यों ।
तू सपना है मेरी फिर सपनो की तरह ही मुझे मिलवाती क्यों ।।

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