Thursday, August 31, 2017

न जाने किसे पता है

जिन्दगी सवर रही, कि बिखर रही ।
न जने किसे पता है ।।
मैं कुछ पा रहा, कि खो रहा ।
न जने किसे पता है ।।
जिंदगी मुझे कुछ सीखा रही, कि अजमा रही।
न जाने किसे पता है।।
मैं कुछ कर रहा, कि कुछ बिसर रहा ।
न जाने किसे पता है।।
मैं शौख में हु, कि खौफ में है।
न जाने किसे पता है।।
@@@@@@@@@@@@@@@

मैं जी रहा, कि जीने की ख्याइस है।
न जाने किसे पता है।।

यह एक गम है, या गमो की ख्याइस है।
न जाने किसे पता।।
यह एक जाम है, या जहर जिसे मैं पी रहा।
न जने किसे पता।।
मैं जिंदगी जी रहा, कि जिंदगी मुझे जिला रही।।
न जाने किसे पता।।
मैं यह जहर पी रहा, कि यह खुद मुझे पिला रही ।
न जाने किस पता ।।
मैं सब कुछ खो जाऊंगा, कि कुछ हो जाऊंगा ।
न जाने किस पता ।।

No comments:

Post a Comment

please don't enter any spam link in the comment box....!