Sunday, April 5, 2020

Kabhi etna sukun mila nhi |

Kabhi etna sukun mila nhi |

इतना कभी सुकून नहीं मिला,
दिल में काटे चुभ रहे लेकिन
दर्द भरा ही सही एक फूल sखिला
रोड पे चलता हूं एक दम मतवाले की तरह
क्योंकि कभी महशुस ही नहीं किया इतना तनहा

ये वक़्त और ये जिंदगी भी कितनी अजीब है न मेरे लिए
देती काम लेती ज्यादा है
अब महसूस है नहीं होता मै हूं भी या नहीं
पर याद दिला लेंता हूं कभी कभी देख के आइना ।।।

मुझे नहीं पता कब हो रहा दिन कब राते
मुझे ये नहीं पता कब धूप हो रही कब बरसाते
कभी कभी लगता है जिंदा हूं भी नहीं
लेकिन थप्पड़ मार के देख लेता हूं चल रही अभी सासे ।।।

खोया रहता हूं किसी यादों के आगोश में
ढूंढता रहता हूं अपने अष्क को बेचैन सा
मानो जैसे दरिया को समन्दर तलाश हो
आंखो का झरना भी अब सुख गया है
मानो जैसे पानी को भी प्यास हो
मानो जैसे पानी को भी प्यास हो




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