Friday, April 6, 2018

पतझड़ चल रहा

पत्ते गिर रहे क्योकि पतझड़ चल रहा
गिर रहे पत्ते पर मैं नही गिर रहा
सब ठुठे पेड़ देख रहे पर मुझे
उस ठुठे डाल पर कालिया दिख रहा

पत्ते गिर रहे क्योकि पतझड़ चल रहा

सबको पता है कि कुछ भी स्थाई नही है
फिर लोगो मे इतनी तन्हाई क्यो है
रिश्ते झड़ रहे बिल्कुल पत्ते की तरह
लेकिन मैं अभी भी उन्हें सींच रहा
ये व्यर्थ नही है क्योंकि मुझे
उन पत्ते में कालिया दिख रहा

पत्ते झड़ रहे क्योकि पतझड़ चल रहा

सब कुछ हरा होगा सब्र करो देखने वालों
सूखे पेड़ क्यो देख रहे बस एक मौषम है
कभी कुरूदो उन डालियो जो सूखे दिख रहे
कुछ हरा होगा कुछ भरा होगा
यही उसकी शक्ति है जिस पर वो खड़ा होगा

पत्ते गिर रहे क्योंकि पतझल चल रहा ।।।

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