Friday, April 6, 2018

Ab uth pathik tu chal |Hindi/urdu shayari, kavita,poetry| अब उठ पथिक तू चल कितना गिरेगा दरबदर फिरेगा

"अब उठ पथिक तू चल
कितना गिरेगा दरबदर फिरेगा
सच की खोज में कब तक रहेगा
सच दूर है दूर ही रहेगा
न भूत देखा न कल

बस उठ पथिक अब चल ।
बस उठ पथिक अब चल ।।

रोशन करने के खातिर एक दुनिया
अंधेरे में  तेरा है कल
कुछ कर अपने से झूठ न बोल
अगर तू आगे न चल सकता पीछे ही सही
पर तु चल
भूत तेरा न सही रहा
न सही रहेगा तेरा कल

अब उठ पथिक अब चल ।
अब उठ पथिक अब चल।।

क्या पड़ा क्यो पड़ा
तूफान आने वाला है
फिर क्यो खड़ा है
अपनी नाव घुमा
दरिया के उस पार अब निकल
क्यो बैठा हूँ क्या सोच रहा

अब उठ पथिक तू चल ।
अब उठ पथिक तू चल ।।

अब समय नही की तू मंथन कर
अब मन को अपने चंचल कर
जो खो गया सो खो गया
जो हो गया सो हो गया
एक लक्ष्य मिला है जीने को
एक तरफ जहर समान है पीने को
छोड़ जिन्दजी जो रहा
अपना लक्ष्य उठा और अपना कल

बस उठ पथिक अब चल ।
बस उठ पथिक अब चल ।।"
                      -@pjhalu


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