Friday, April 2, 2021

Mushafir the ham kisi raah ke, tabhi meri nagar un pe padi |Hindi/urdu shayari, kavita,poetry|मुसाफिर थे हम किसी राह का तभी मेरी नजर उनपे पड़ी

Hindi/urdu shayari, kavita,poetry



"मुसाफिर थे हम किसी राह का
तभी मेरी नजर उनपे पड़ी
उनकी आंखे सुरमे बक्र थी
रुक गई मेरी नजर वहीं ।।
नजरो से कुछ नजराना हुआ
दिल में एक हंगामा हुआ
ना जाने उनके जुल्फो और
आंखो से क्या बात हुई
हम तो बस यूंही खड़े थे
लेकिन आंखो का आंखो से
(वो) वाली मुलाकात हुई
लंबी गुफ्तगू चली उनमें
न जाने क्या बात हुई
मुझे तो कुछ ना हुआ|||


लग रहा आखो को इश्क हुआ
उस रात बस इतना ही हुआ
लेकिन खुली आंखो से
सुबह मेरी मुलाकात हुई
मै निर्दोष था लेकिन
दोषी तो आंखे हुई ।।
उधर भी कुछ ऐसा ही था
क्योंकि बस चंद दिन बाद
मेरी भी उनसे मुलाकात हुई ।।।
ना जाने उस दिन क्या
नैनो का नैनो से बात हुई।।


एक बस्ती थी मेरी, उनके आंखो में
उस बस्ती में, छोटा सा घर था अपना
उस छोटे से घर का मालिक थे, हम दोनों
किसी ने उनको थोड़ा सा, खुशी क्या दी
भर आई आंखे उनकी
और बह गया आशिया अपना ।।।"
pradeepkumar jhalu


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