अफसोस होता है कभी कभी अपने खुद के होने का
अफसोस होता है कभी कभी सब कुछ खोने का
छोड़ देता मै भी सब कुछ नसीब के भरोसे
पर कैसे कोई रोक पाए कोई खुद को
जब कोई लंगड़ा तोड़ रहा हो सपना ।।
ये चुनौती ये बदनामी
ये बेगैरत भारी जिंदगी कौन जिएगा
बस थोड़ा कायर है ना हम
अपने से तो हम लड़ लेंगे
पर ये दुनिया से कौन लड़ेगा ।।
असोस एक और भी है अफसोस के लिए
जो अंधे है पर उनका क्या जों आंखे रहते नहीं दिखता
यहां हर चीज का मोल है बस वो अपना न हो
वरना बेगैरत (बेकार) लोगो का भी है एक सपना
अफसोस होता है कभी कभी सब कुछ खोने का
छोड़ देता मै भी सब कुछ नसीब के भरोसे
पर कैसे कोई रोक पाए कोई खुद को
जब कोई लंगड़ा तोड़ रहा हो सपना ।।
ये चुनौती ये बदनामी
ये बेगैरत भारी जिंदगी कौन जिएगा
बस थोड़ा कायर है ना हम
pradeepkumar jhalu |
अपने से तो हम लड़ लेंगे
पर ये दुनिया से कौन लड़ेगा ।।
असोस एक और भी है अफसोस के लिए
जो अंधे है पर उनका क्या जों आंखे रहते नहीं दिखता
यहां हर चीज का मोल है बस वो अपना न हो
वरना बेगैरत (बेकार) लोगो का भी है एक सपना
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