"इतना कभी सुकून नहीं मिला,
दिल में काटे चुभ रहे लेकिन
दर्द भरा ही सही एक फूल खिला
रोड पे चलता हूं एक दम मतवाले की तरह
क्योंकि कभी महशुस ही नहीं किया इतना तनहा
ये वक़्त और ये जिंदगी भी कितनी अजीब है न मेरे लिए
देती काम लेती ज्यादा है
अब महसूस है नहीं होता मै हूं भी या नहीं
पर याद दिला लेंता हूं कभी कभी देख के आइना ।।।
मुझे नहीं पता कब हो रहा दिन कब राते
मुझे ये नहीं पता कब धूप हो रही कब बरसाते
कभी कभी लगता है जिंदा हूं भी नहीं
लेकिन थप्पड़ मार के देख लेता हूं चल रही अभी सासे ।।।
खोया रहता हूं किसी यादों के आगोश में
ढूंढता रहता हूं अपने अष्क को बेचैन सा
मानो जैसे दरिया को समन्दर तलाश हो
मानो जैसे पानी को भी प्यास हो
मानो जैसे पानी को भी प्यास हो"
-@pjhalu
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