"जब कभी अकेला महसूस करता हूं ।
तेरी याद बहुत है आती मां
सोचता हूं तुमसे बात करू
पर डरता हूं कही रो दूंगा ।।
मुझे पता है तुझे पता है ।
अगर कभी मै रो दूंगा ।।
तेरी आंखें में भी आंसू दे दूंगा।
ऐसा देख हो सकता है बाबूजी की भी आंखे नीर की बीज बो देगा ।।
अगर ऐसा हुआ कभी, पूरा घर वेदना में रो देगा ।।
फिर क्या होगा ?
कुछ सूख खोएगा , कुछ चैन खोएगा
फिर शारी दुनिया, मै अपनी खो दूंगा
बस इसलिए call नहीं करता ऐ मां मै,
डर लगता कि रो दूंगा ।।
बस इसलिए call नहीं करता ऐ मां मै,
डर लगता कि रो दूंगा
तुम्हे पता मां ! ये जिंदगी
रोज़ सताती , रोज़ दिखाती
कुछ न कुछ दिवा सपने ऐ मां
मै उससे कुछ ज्यादा ही करता
जितना है वो मुझसे बतलाती ।
पास बुलाती ललचाती
फिर दुदकार के भगा देती ऐ मां
अब तू ही बता क्या है इसमें मेरी गलती एय मां
जब भी अकेला महसूस करता हूं।
तेरी बड़ी याद है आती ए मां।।
काफी समय से दूर हूं ।
डरता हूं कुछ ना कर पाया, तो सब कुछ खो दूंगा।।
बस इसलिए call नहीं करता ऐ मां, डर लगता हैं कि रो दूंगा।
बस इसलिए call नहीं करता ऐ मां, डर लगता हैं कि रो दूंगा ।।"
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