मैं हमेशा अपने देश (भारत) के बारे में सोचता रहता हु सबसे बड़ा देश का दुशमन कौन है ।
हमारे देश राजनीतिगण्य या आतंकबाद कभी जबाब आता था आतंकबाद और हमारा पडोशी देश जो आतंकबाद को पनाह दिए हुए है और टाइम टाइम पर देश का मौहाल बिगड़ने का प्रयाश करते रहते है
लेकिन कभी -2 मैं सोचता की नही हमारे देश के राजनीतिगण्य ही देश के मौहाल बिगड़ बस वोट बैंक बढ़ाने के लिए हमारे भोले भाले जनता को मुर्ख बना रहे है और आतंकबाद जैसे भयानक शब्द से डरा रही ।
मुझे लगता था की इस भ्रम को दूर किया जा सकता है हमारे देश के युवा को उच्च श्रेणी के शिक्षा दे दिया सारे लोग जब हायर एजुकेशन पा जाएंगे तब लोग सही गलत समझ सकते है और इन राजनीतिगण्य के बहकावे नही आएंगे और सिर्फ देश के विकाश के बारे में सोचेंगे और मेरा देश तरक़्क़ी करेगा।
लेकिन ये क्या हुआ जब देश के युवा एडुकेटेड हुए देश के तरक़्क़ी के बारे में सोचने की बरी आई तो ये युवा देश बार न सोच के बिरक्त के बारे में सोच रहे है इन्हें देश से नही इन्हें देश के मौहाल ख़राब करने वाले से प्यार हो गया ये आतंकबादी का बार्शी मनाने लगे अपने देश खंडन के बारे में सोचने लगे अपने देश में कुछ दिख ही नही रहा दुश्मन देश के नारे लगाने लग।े
जब देश के बुद्धिजीवी के साथ रहने के बरी आई तब वे आतंकबादीयो के साथ रहने जब आपने सिमा के बितार की बारे में सोचना चाहिए तो अपने ही देश को तोड़ने के बारे में सोच रहे
अब मैं समझ गया की हमे इतने सालो मुगलो और अंग्रेजो के गुलाम रहे क्योकि हमरे खून में है की हम अपने सोच में ही आपने घर के लोगो की बात अच्छी नही लगती हमे दुसरो के घरो की बातें अच्छी लगती क्योकि हम अपने घर को सुधारना ही नही चाहते।।।
|| भगवान हमे षद्बुद्धि दे और हमारे देश के लोगो को भी।।
हमारे देश राजनीतिगण्य या आतंकबाद कभी जबाब आता था आतंकबाद और हमारा पडोशी देश जो आतंकबाद को पनाह दिए हुए है और टाइम टाइम पर देश का मौहाल बिगड़ने का प्रयाश करते रहते है
लेकिन कभी -2 मैं सोचता की नही हमारे देश के राजनीतिगण्य ही देश के मौहाल बिगड़ बस वोट बैंक बढ़ाने के लिए हमारे भोले भाले जनता को मुर्ख बना रहे है और आतंकबाद जैसे भयानक शब्द से डरा रही ।
मुझे लगता था की इस भ्रम को दूर किया जा सकता है हमारे देश के युवा को उच्च श्रेणी के शिक्षा दे दिया सारे लोग जब हायर एजुकेशन पा जाएंगे तब लोग सही गलत समझ सकते है और इन राजनीतिगण्य के बहकावे नही आएंगे और सिर्फ देश के विकाश के बारे में सोचेंगे और मेरा देश तरक़्क़ी करेगा।
लेकिन ये क्या हुआ जब देश के युवा एडुकेटेड हुए देश के तरक़्क़ी के बारे में सोचने की बरी आई तो ये युवा देश बार न सोच के बिरक्त के बारे में सोच रहे है इन्हें देश से नही इन्हें देश के मौहाल ख़राब करने वाले से प्यार हो गया ये आतंकबादी का बार्शी मनाने लगे अपने देश खंडन के बारे में सोचने लगे अपने देश में कुछ दिख ही नही रहा दुश्मन देश के नारे लगाने लग।े
जब देश के बुद्धिजीवी के साथ रहने के बरी आई तब वे आतंकबादीयो के साथ रहने जब आपने सिमा के बितार की बारे में सोचना चाहिए तो अपने ही देश को तोड़ने के बारे में सोच रहे
अब मैं समझ गया की हमे इतने सालो मुगलो और अंग्रेजो के गुलाम रहे क्योकि हमरे खून में है की हम अपने सोच में ही आपने घर के लोगो की बात अच्छी नही लगती हमे दुसरो के घरो की बातें अच्छी लगती क्योकि हम अपने घर को सुधारना ही नही चाहते।।।
|| भगवान हमे षद्बुद्धि दे और हमारे देश के लोगो को भी।।
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